Thursday, November 29, 2012

Gayatri Mantra Anuradha Paudwal




Gayatri Mantra (It Contains Powers, Energy and its singing repeatedly Benefits Mental, Physical and Spiritual Health) "Aum Bhoor Bhuvaha Swaha, Tatsavitur Varenyam, Bhargo Devasya Dheemahi, Dheeyo Yo Nah Prachodayat.''

Saturday, March 31, 2012

शिव पंचाक्षर स्त्रोत


नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय|
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे "न" काराय नमः शिवायः॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय|
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे "म" काराय नमः शिवायः॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय|
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै "शि" काराय नमः शिवायः॥

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय|
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै "व" काराय नमः शिवायः॥

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय|
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै "य" काराय नमः शिवायः॥

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत शिव सन्निधौ|
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

शिव स्तुति


हे नाथ जानि अजान बालक विश्वनाथ महेश्वरम | 
करिके कृपा दीजो दरस अविनाशी शंकर सुन्दरम ||
आया शरण हूँ आपकी इतनी अनुग्रह किजीये |
जय चंद्र मौली कृपालु अब तुम दरश मोको दीजिये ||
ले राम नाम निशंक कीन्हों है गरल आहार तुम | 
भव सिंधु से नैया कर देना भोला पार तुम ||
मनसा वाचा कर्मणो से पाप-अति हमने कियो |
आयो शरण शरणागति की सुध नहीं अब तक लियो ||
अब तो तुम्हारे हाथ है, गिरिजापति मेरी गति|
जय पशुपति, जय पशुपति, जय पशुपति, जय पशुपति ||

जय जयति योगेश्वर तुम्ही बल , बुद्धि के प्रकाश तुम |
मन-मंदिर बीज निवास करिये जानि जन सुख राशि तुम ||
लज्जा हमारी रखना शिव आपके ही हाथ है |
तुमसा ना कोई भक्त वत्सल कृपालु दीनानाथ है ||
त्रय ताप मोचन जय त्रिलोचन पूर्ण पारावार जय |
कैलाशवासी सिद्ध कशी दया के अधर जय ||
शिव दया के सिंधु हो जन है शरण जन फेरिए |
करिके कृपा की कोर शंकर दीन जन दिशि हेरिये ||
शुभ बेल के कुछ पत्र हैं, कुछ पुष्प हैं मंदार के |
फल है धतूरे के धरे, कुछ संग अछत धारि के ||
सेवा हमारी तुच्छ है , फल कामना मन मे बड़ी |
पर आशा भोले नाथ से , रहती ह्रदय मे बड़ी ||
हे विश्वनाथ महेश अपनी, भक्ति कृपया दीजिये |
निर्भय निडर निशंक करिये , शक्ति अपनी दीजिये ||
हो सत्य व्रतधारी ह्रदय मे, भावना ऐसी भरें |
बम बम हरे, बम बम हरे, बम बम हरे, बम बम हरे ||

मण्डित जटा मे गंग धारा, ताप लोको के हरे |
शशिभाल तब यश चाद्रिका , सबके ह्रदय शीतल करें ||
वरदे वरद वरदानियों धन धान्य से धरती भरें |
जय शिव हरे, जय शिव हरे, जय शिव हरे, जय शिव हरे||
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